फिल्म 'हो गया दिमाग का दही' विशेषः
79 वर्ष
की उम्र में भी क़ादर ख़ानके मन कुछ नया सीखने के ललक है, उन्होंने एक नए निर्देशक के साथ काम
करने के अनुभव के बारे में कहा कि मैं
खुशनसीब हूं कि मुझे फौजिया अर्शी की सरपरस्ती में कुछ सीखने
का मौका मिला. कोई
डायरेक्टर नया नहीं होता है उसका काम करने का तरीका पुराने किसी डायरेक्टर
से मिलता जुलता है. फौजिया अर्शी का काम मनमोहन देसाई और प्रकाश मेहरा
दोनों से मिलता जुलता है. एक
कॉमेडी का बादशाह था एक स्क्रीन-प्ले
और डायलॉग्स में महारथ रखता था,
ये दोनों ही चीजें हो गया दिमाग़ का दही में देखने को
मिलेंगी. साथ ही नई पीढ़ी के कॉमेडियन्स के बारे में उन्होंने कहा कि वे क़ादर ख़ान और आसरानी के
कॉम्बीनेशन को याद रखें. बॉलीवुड में
कॉमेडी का नया अध्याय यहीं से शुरू होता है.
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