फिल्म 'हो गया दिमाग का दही'
विशेषः सत्तर-अस्सी के दशक में फिल्म इंडस्ट्री
क़ादर ख़ानकी कलम की दीवानी थी.
अफगानिस्तान में पैदा हुए और मुंबई के कमाठीपुरा में पले बढ़े
क़ादर ख़ानने अपने
आसपास के वाकयों को अपने लेखन में जगह दी. अमर अकबर ऐंथोनी का ऐेंथोनी हो
या अग्निपथ का विजय दीनानाथ चौहान या फिर सत्ते पे सत्ता के किरदार इन सभी
के लिए डायलॉग क़ादर ने अपने निजि अनुभवों के आधार पर ही लिखे. क़ादर ने एक
इंटरव्यू में कहा था कि मेरी कलम को अमिताभ बच्चन के गले की तलाश होती थी.
प्रकाश मेहरा उनके लिखे डॉयलाग्स के इतने दीवाने थे कि उन्होंने अपनी फिल्मोें
में उन्हें विलेन का काम देना शुरू कर दिया. उस समय विलेन की बड़ी कमी
थी, इसलिए
जिन फिल्मों के लिए वे डायलाग्स लिखते उन फिल्मों में विलेन का किरदार भी अदा करते थे. उन्होने अपने
करियक में तकरीबन 300 फिल्मों
में अभिनय
किया है और 150 फिल्मों
के लिए डायलॉग्स लिखे.
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